New rules of UP: आज के समय में यूपीआई हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। चाय बेचने वाले से लेकर बड़े-बड़े व्यापारी तक, हर कोई यूपीआई के जरिए पेमेंट लेने और करने का आदी हो चुका है। इसकी वजह से पैसे का लेनदेन बेहद आसान और तेज हो गया है, लेकिन अब सरकार ने इसके इस्तेमाल पर कुछ नए नियम लागू किए हैं, जिन्हें जानना हर यूपीआई यूजर के लिए जरूरी है।
छोटे-छोटे पेमेंट से कैसे बन सकती है बड़ी रकम
सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक, अगर आप रोजाना छोटे-छोटे लेनदेन करते हैं, तो साल के अंत में यह एक बड़ी रकम में बदल सकता है और आयकर विभाग की नजर में आ सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आप रोजाना ₹400 किसी को यूपीआई के जरिए भेजते हैं, तो महीने में यह ₹12,000 और साल भर में ₹1 लाख से ज्यादा हो जाएगा। अगर यह भुगतान किसी सेवा के बदले में किया गया है, तो इसे आय माना जाएगा और आपको इसे अपने इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होगा।
पेटीएम, गूगल पे और फोनपे की नई गाइडलाइन
पेटीएम, गूगल पे और फोनपे जैसे प्लेटफॉर्म ने भी इस संदर्भ में कई नई गाइडलाइन जारी की हैं। अब यूजर्स को यह पता होना चाहिए कि वे एक दिन में कितना ट्रांजैक्शन कर सकते हैं और कितनी बार बैलेंस चेक करने की अनुमति है। एनपीसीआई (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) के जरिए बैंकों का डेटा सीधे आयकर विभाग तक पहुंच सकता है, जिससे आपके ट्रांजैक्शन पैटर्न पर नजर रखी जा सकती है।
टैक्स कब और क्यों लगेगा
अगर आपकी सालाना आय टैक्स स्लैब के नीचे है और पेमेंट घरेलू खर्च के लिए है, तो चिंता की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आप किसी सेवा जैसे ट्यूशन, फ्रीलांसिंग, ऑनलाइन काउंसलिंग या डिजाइनिंग के बदले में पेमेंट लेते हैं, तो यह आपकी टैक्स योग्य आय मानी जाएगी और इसे रिटर्न में दिखाना अनिवार्य होगा।
लेनदेन की पारदर्शिता और निगरानी
डिजिटल इंडिया अभियान का उद्देश्य लेनदेन में पारदर्शिता और सुविधा बढ़ाना है। अब टैक्स विभाग सिर्फ रकम पर ही नहीं, बल्कि यह भी देखता है कि पैसे का स्रोत क्या है और इसका इस्तेमाल किस उद्देश्य से किया जा रहा है। इसलिए अगर आप छोटे-छोटे ट्रांजैक्शन करते हैं, तो इसे ध्यान में रखते हुए करें और अनावश्यक लेनदेन से बचें।
यूपीआई के नियमों में बदलाव
बढ़ते डिजिटल पेमेंट और सर्वर लोड को देखते हुए यूपीआई ने भी कुछ बदलाव किए हैं। अगर आप एक दिन में 50 से ज्यादा बार बैलेंस चेक करते हैं, तो लिमिट लागू कर दी गई है। इसी तरह महीने में अत्यधिक लेनदेन पर भी नजर रखी जा रही है, ताकि धोखाधड़ी और अनावश्यक ट्रैफिक को रोका जा सके।[Related-Posts]
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी को किसी भी प्रकार की वित्तीय, कानूनी या टैक्स सलाह के रूप में न लें। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले अपने सलाहकार से परामर्श करें।
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