Cow-goat rearing scheme: सपनों को पंख देने का सरकारी भरोसा

Rashmi Kumari -

Published on: July 29, 2025

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Cow-goat rearing scheme: जब किसान अपनी जमीन, मेहनत और उम्मीदों के साथ सुबह उठते हैं, तो सबसे बड़ी आवश्यकता होती है सही दिशा व सुरक्षित समर्थन की। उत्तर प्रदेश में सरकार ने गाय और बकरी पालन के माध्यम से ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने का जो कदम उठाया है, वह उसी विश्वास की तस्वीर है। यदि आप इस क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं, तो अब आपको सरकारी मदद के तहत ₹9 लाख तक का लोन मिलने वाला है  जो आपकी मेहनत को नई ऊँचाई दे सकता है।

योजना की झलक: किस उद्देश्य से बनी

Cow-goat rearing scheme: सपनों को पंख देने का सरकारी भरोसा

इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को अत्याधुनिक पशुपालन के लिए वित्तीय मदद देती है। चाहे आप गाय पालन करना चाहते हों या बकरी पालन, इसके लिए बैंक से ₹9 लाख तक का लोन उपलब्ध है। साथ ही, आपको 50% तक सब्सिडी भी मिल सकती है अगर आप गो-पालन या बकरी पालन में व्यवसाय स्तर पर काम करना चाहते हैं।

यह योजना उत्तर प्रदेश की “Mukhyamantri Krishak Samridhi Yojana” की ही एक रूप-रेखा है, जिसका लक्ष्य छोटे व सीमांत किसानों को कृषि एवं पशुपालन से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना है।

सहायता ढांचे की संरचना: लोन कैसे मिलती है

सरकार यह सुनिश्चित करती है कि पशुपालन कारोबार में शामिल किसान ₹9 लाख तक का व्यावसायिक ऋण प्राप्त कर सकें। बकरी पालन के लिए विशेष रूप से यह व्यवस्था लागू है, जो छोटे परिवारों को रोजगार और आय दोनों देती है।इसके साथ 50% तक की सब्सिडी का विकल्प भी दिया जाता है, जिससे वास्तविक लागत आधे की हो जाती है। उदाहरण के लिए, यदि आपके परियोजना की लागत ₹18 लाख हो, तो आपको सरकार से लगभग ₹9 लाख की सहायता मिल जाती है।

वास्तविक लाभार्थी और पात्रता

यह योजना उत्तर प्रदेश निवासी किसानों के लिए है, विशेष रूप से उन SC/ST परिवारों के लिए जो परंपरागत रूप से पशुपालन से सम्बद्ध हैं। ये किसान कोई नियमित कर्जदार नहीं होने चाहिए ताकि न्यूनतम ब्याज भार पर लाभ उठाया जा सके। योजना का लाभ लेने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में पशुपालन का अनुभव और उचित जमीन-स्थान होना अनिवार्य है।

इसके अलावा, यदि आप स्वयं सह-काम कर रहे महिला किसान, SHG सदस्य या कृषि उत्पादक संस्था से जुड़े हैं, तो आपको अतिरिक्त प्राथमिकता और सस्ती ब्याज दर मिल सकती है।

क्यों यह योजना बदल सकती है आपकी जिंदगी

कल्पना कीजिए: 100 बकरियाँ या कुछ उच्च-दुग्ध देने वाली गायें आपकी गोशाला में हों, और आप उनका दैनिक दूध, मांस या सहायक उत्पाद बेचकर स्थायी आय अर्जित करते हों।

यह योजना केवल आर्थिक मदद नहीं देती, बल्कि आपको मार्केट तक पहुंचने की निरंतर सहायता भी प्रदान करती है। पशु पालन से मिलने वाले इन उत्पादों का बाजार हमेशा सक्रिय रहता है। ग्रामीण आजीविका की दुनिया में यह कदम आत्म-सम्मान और सम्मान दोनों में वृद्धि लाता है।

आवेदन प्रक्रिया की मीठी राह

इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए आपको सबसे पहले उद्ध्यम मित्र / NLM पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। उस पर जाकर ‘Goat Farming Scheme’ या ‘Livestock Scheme’ चुनें, आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें, DPR तैयार करें और बैंकों / लोकल पशुपालन विभाग से संपर्क करें। कई मामलों में जिला पशुपालन विभाग या NABARD बैंक के माध्यम से आवेदन स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी होती है।

आप ऑफलाइन आवेदन भी कर सकते हैं अपने निकटस्थ पशुपालन विभाग कार्यालय में जाकर आवेदन सामग्री जमा करें।[Related-Posts]

एक कहानी जो उम्मीद जगाती है

Cow-goat rearing scheme: सपनों को पंख देने का सरकारी भरोसा

एक छोटे किसान ने यह सब योजना के माध्यम से अपनाया: ₹18 लाख की परियोजना, जिसमें उसे ₹9 लाख की सब्सिडी मिली और वर्किंग कैपिटल लोन भी हुआ। कुछ महीनों में ही दूध की बिक्री और बच्चियों के छोटे-बड़े मुनाफे से उसकी आय स्थिर बनी। उसका परिवार गर्व से कहता है “पशुपालन ने हमें आत्मनिर्भर बना दिया।”

यह कहानी सिर्फ कल्पना नहीं बल्कि हजारों ऐसे किसानों की हकीकत है, जिन्हें अब अपने जीवन में स्थायित्व और सम्मान मिला है।

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य जानकारी और योजनाओं की समझ के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी को किसी प्रकार की आधिकारिक या वित्तीय सलाह न मानें। योजना की पात्रता, दस्तावेज और अंतिम निर्णय के लिए कृपया उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित विभाग से संपर्क करें।

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Rashmi Kumari

मेरा नाम Rashmi Kumari है , में एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हूं और पिछले कुछ वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही हूं। फिलहाल, मैं Vaidik Sangeet Mahavidyalaya पर तकनीकी, स्वास्थ्य, यात्रा, शिक्षा और ऑटोमोबाइल्स जैसे विषयों पर आर्टिकल लिख रही हूं। मेरा उद्देश्य हमेशा जानकारी को सरल और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करना है, ताकि पाठक उसे आसानी से समझ सकें और उसका लाभ उठा सकें।

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